सनस्क्रीन के साइडइफेक्ट से क्या वाकिफ हैं, अगर नहीं तो जान लें
सनस्क्रीन के इस्तेमाल के कई साइड इफेक्ट भी होते हैं जिनसे सभी वाकिफ नहीं हैं। इनसे बचने का बेस्ट तरीका नेचुरल प्रॉडक्ट का इस्तेमाल करना है।
गर्मियों में हमें हर ओर से सलाह दी जाती है कि बाहर निकलना हो तो सनस्क्रीन लगा कर निकला करो। सूरज की हानिकारक किरणें खास कर इनसे होने वाले स्किन कैंसर, सनबर्न और ऐसे ही डिजीज से बचने का अचूक उपाय सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल करना होता है। लेकिन केमिकल एलिमेंट से बने सनस्क्रीन का इस्तमाल करने से किस प्रकार के साइड इफेक्ट हो सकते हैं इससे शायद आप वाकिफ नहीं हैं। इनमें टेट्रासाइक्लिन, सल्फा ड्रग्स और फेनोथियाजिन्स जैसे केमिकल इंग्रीडियंट मिले होते हैं जो स्किन के लिए काफी हानिकारक होते हैं।
कैसे यूज करें सनस्क्रीन
-शरीर के खुले भाग में ही सनस्क्रीन का करें इस्तेमाल
-सामान्यत घर से बाहर निकलने के आधे घंटे पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।
-अगर स्वीमिंग कर रहे हैं या एक्सरसाइज कर रहे हैं तो इन एक्टीविटीज के बाद दोबारा से सनस्क्रीन का इस्तेमाल बॉडी पर करें।
-अगर आप घर या ऑफिस के अंदर भी हैं तब भी हर चार घंटे के अंतराल में अपने हाथ और फेस पर सनस्क्रीन अप्लाय करें।
-शरीर के खुले भाग में ही सनस्क्रीन का करें इस्तेमाल
-सामान्यत घर से बाहर निकलने के आधे घंटे पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।
-अगर स्वीमिंग कर रहे हैं या एक्सरसाइज कर रहे हैं तो इन एक्टीविटीज के बाद दोबारा से सनस्क्रीन का इस्तेमाल बॉडी पर करें।
-अगर आप घर या ऑफिस के अंदर भी हैं तब भी हर चार घंटे के अंतराल में अपने हाथ और फेस पर सनस्क्रीन अप्लाय करें।
सनस्क्रीन से होने वाले साइड इफेक्ट
एलर्जिक रियेक्शन
बाजारों में बिकने वाले सनस्क्रीन में फ्रेगरेंस और परिरक्षक के रुप में हानिकारक केमिकल मिले होते हैं जो स्किन इरिटेशन जैसे स्वेलिंग, लाल होना, रैशेज और इचिंग जैसी समस्या पैदा करते हैं। PABA एक ऐसा केमिकल है जो बहुत सारे कॉमर्शियल सनस्क्रीन में पाये जाते हैं और जिसके कारण से एलर्जिक रियेक्शंस होते हैं। यही कारण है कि ये पॉप्युलर ब्रांड के सनस्क्रीन के पैकिंग लेबल से हटा दिया जाता है। इसके बदले आप हाइपोलर्जेनिक लेबल का सनस्क्रीन खरीदें इनमें PABA केमिकल नहीं पाये जाते हैं। साथ ही जिंक ऑक्साइड वाले सनस्क्रीन से भी एलर्जी का कम खतरा होता है।
बाजारों में बिकने वाले सनस्क्रीन में फ्रेगरेंस और परिरक्षक के रुप में हानिकारक केमिकल मिले होते हैं जो स्किन इरिटेशन जैसे स्वेलिंग, लाल होना, रैशेज और इचिंग जैसी समस्या पैदा करते हैं। PABA एक ऐसा केमिकल है जो बहुत सारे कॉमर्शियल सनस्क्रीन में पाये जाते हैं और जिसके कारण से एलर्जिक रियेक्शंस होते हैं। यही कारण है कि ये पॉप्युलर ब्रांड के सनस्क्रीन के पैकिंग लेबल से हटा दिया जाता है। इसके बदले आप हाइपोलर्जेनिक लेबल का सनस्क्रीन खरीदें इनमें PABA केमिकल नहीं पाये जाते हैं। साथ ही जिंक ऑक्साइड वाले सनस्क्रीन से भी एलर्जी का कम खतरा होता है।
एक्ने होने का भी खतरा
अगर आपकी एक्ने प्रोन स्किन है तो सनस्क्रीन आपकी इस प्रॉब्लम को और भी बढ़ा सकता है। इनसे छुटकारा पाने के लिए आप नॉन-कॉमेडोजेनिक और नॉन-ऑइली सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। बॉडी सनस्क्रीन काफी हैवी होता है इसलिए इसे फेस पर अप्लाय ना करने की सलाह दी जाती है।
अगर आपकी एक्ने प्रोन स्किन है तो सनस्क्रीन आपकी इस प्रॉब्लम को और भी बढ़ा सकता है। इनसे छुटकारा पाने के लिए आप नॉन-कॉमेडोजेनिक और नॉन-ऑइली सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। बॉडी सनस्क्रीन काफी हैवी होता है इसलिए इसे फेस पर अप्लाय ना करने की सलाह दी जाती है।
आंखों की इरिटेशन
फेस पर सनस्क्रीन अप्लाय करते समय अगर आंखों में इसकी मात्रा चली जाती है तो ये आंखों में दर्द और इरिटेशन पैदा करता है। इसके अलावा ये आंखों में जलन भी पैदा करता है साथ ही लाइट के प्रति आंखें काफी संवेदनशील हो जाती हैं। कुछ का ये भी दावा है कि सनस्क्रीन आंखों को ब्लाइंड भी कर देती है। इसलिए ये सलाह दी जाती है कि अगर आंखों में सनस्क्रीन चला जाए तो इसे ठंडे पानी से तुरंत धो लें।
फेस पर सनस्क्रीन अप्लाय करते समय अगर आंखों में इसकी मात्रा चली जाती है तो ये आंखों में दर्द और इरिटेशन पैदा करता है। इसके अलावा ये आंखों में जलन भी पैदा करता है साथ ही लाइट के प्रति आंखें काफी संवेदनशील हो जाती हैं। कुछ का ये भी दावा है कि सनस्क्रीन आंखों को ब्लाइंड भी कर देती है। इसलिए ये सलाह दी जाती है कि अगर आंखों में सनस्क्रीन चला जाए तो इसे ठंडे पानी से तुरंत धो लें।
ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को भी बढ़ाता है
कुछ सनस्क्रीन ऐसे होते हैं जिनसे ब्रेस्ट सेल्स पर एस्ट्रोजेनिक इफेक्ट पड़ता है, वहीं कुछ सनस्क्रीन ब्लड एस्ट्रोजन लेवल पर भी गलत प्रभाव डालता है। बच्चों की बॉडी में सनस्क्रीन का इस्तेमाल ना ही करें क्योंकि उनकी कोमल त्वचा केमिकल जल्दी एब्जॉर्ब करती है जो उनके लिए काफी हार्मफुल होता है।
कुछ सनस्क्रीन ऐसे होते हैं जिनसे ब्रेस्ट सेल्स पर एस्ट्रोजेनिक इफेक्ट पड़ता है, वहीं कुछ सनस्क्रीन ब्लड एस्ट्रोजन लेवल पर भी गलत प्रभाव डालता है। बच्चों की बॉडी में सनस्क्रीन का इस्तेमाल ना ही करें क्योंकि उनकी कोमल त्वचा केमिकल जल्दी एब्जॉर्ब करती है जो उनके लिए काफी हार्मफुल होता है।
बालों वाले बॉडी पार्ट में दर्द पैदा करता है
सनस्क्रीन के काफी टाइप होते हैं जिसे सेलेक्ट करना काफी कंफ्युजिंग होता है। ये जेल, लोशन, स्प्रे, ऑइनंटमेंट, क्रीम जैसे कई फॉर्म में उपलब्ध होते हैं। बालों वाले बॉडी पार्ट के लिए जेल फॉर्म के सनस्क्रीन बेस्ट होते हैं। कभी कभी ये स्किन को सख्त और ड्राय कर देते हैं जिसके कारण उस भाग में दर्द हो जाता है।
सनस्क्रीन के काफी टाइप होते हैं जिसे सेलेक्ट करना काफी कंफ्युजिंग होता है। ये जेल, लोशन, स्प्रे, ऑइनंटमेंट, क्रीम जैसे कई फॉर्म में उपलब्ध होते हैं। बालों वाले बॉडी पार्ट के लिए जेल फॉर्म के सनस्क्रीन बेस्ट होते हैं। कभी कभी ये स्किन को सख्त और ड्राय कर देते हैं जिसके कारण उस भाग में दर्द हो जाता है।
सनस्क्रीन से होने वाले इन साइड इफेक्ट से बचने के उपाय
-अगर आपको सनस्क्रीन के इस्तेमाल से एलर्जी होती है तो इसका इस्तेमाल करना छोड़ दें। अपने डॉक्टर से संपर्क करें और किसी अच्छे फार्मासिस्ट से इरिटेशन और इचिंग से बचने की सलाह लें।
-कड़े हानिकारक धूप के दुष्प्रभाव से बचने के लिए घर से निकलने से दो घंटे पहले बॉडी पर सनस्क्रीन लगायें।
-अगर लिप बाम के रुप में सनस्क्रीन लगा रहे हैं तो इसे बस लिप पर ही यूज करें।
-बच्चों के उपर सनस्क्रीन बड़ी ही सावधानी से इस्तेमाल करें।
-छह महीने से कम उम्र के बच्चों को सनस्क्रीन ना लगायें।
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